Friday, August 26, 2011

वतन की आबरू खतरे में है, कदम बढाओ दोस्तों ! वतन बिकने ही वाला है अब संभल जाओ दोस्तों !! चोहतर साल का एक शेर हमे जगाने आया है ! पहचान कर खुद को, अब दहाड़ लगाओ दोस्तों !! ... ये उन्ही को डसते है जिन्होंने पाला है इनको ! इन सपोलो की फितरत को समझ जाओ दोस्तों !! मशाले हाथों में जलती, जुबाँ पे वन्दे मातरम ! लेकर निकल पड़ो घर से संसद को जगाओ दोस्तों !! अब सहन नही करेंगे, भ्रष्टाचारीयो को वतन में ! अन्ना के साथ मे, गीत "अमन" के गाओ दोस्तों !!

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