Tuesday, November 16, 2010


वैसे तो कोशिश यही करें कि खाए नही पर अगर घर परिवार के कहने पर खाना पड भी जाए तो जरा सम्भल कर.ध्यान इस बात का रखे कि उतना ही खाए जितना पच जाए क्योकि "रिश्वत" खाना भले ही आसान हो पर उसे पचाना आसान नही..

अगर आप राजनेता है तो घबराने की जरूरत नहीं है आप सब कुछ पचा सकते है चारे से लेकर ज़म्मीन तक .............

निजी ज़िन्दगी की बात करू, तो मैंने अपने इर्द-गिर्द आज तक किसी रिश्वतखोर को खुशहाल नहीं देखा...!
चोरी का माल मोरी में जा कर ही रहता है, आज नहीं तो कल, उसकी निकासी होकर ही रहेगी....
और मैडम, ये बहुत ही अच्छा है, क...ी आप ऐसे मुद्दे उठा रहे हैं....

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