Tuesday, March 1, 2011


कल्पना करे कि हम मंदिर मे जाते है वहाँ एक दम शांति है धूप और अगरबत्ती से वातावरण सुगंधित हो रहा है.वहाँ हल्की हल्की नमो शिवाय की ध्वनि से सारा माहौल गुंजित हो रहा है मन को एक अजीब सी शांति मिल रही है ऐसा महसूस हो रहा है कि भगवान से सीधा लिंक हो गया है वही दूसरी ओर हकीकत से कोसो दूर, कल्पना से परे, भारी रश, धक्के खाते मंदिर मे बस किसी तरह प्रवेश पाना, दो धंटे भी कतार मे लगे रहने के बाद भी सही तरीके से दर्शन ना हो पाना और उपर से शीला या मुन्नी के गानो का भगवान के नाम पर रीमिक्स ... हे भगवान कुछ करो ... बस यही आवाज निकलती है.

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