Wednesday, March 9, 2011



उफ.शादी और कर्णफोडू संगीत.कमाल तो इस बात का है कि इतने शोर के बावजूद् भी लोग कानो मे बतियाते चिल्लाते मिल जाते हैं लेकिन समझ कितनो को आ पाती है यह बात समझ से परे है.कल्पना करे कि आप ऐसी ही किसी सगींत संध्या मे किसी दोस्त या रिश्तेदार से चिल्ला कर कह रहे है पनीर मत खाना बेकार है या दुल्हन की आंटी को देखो पूरी जोकर लग रही है या दूल्हे की बुआ के बैग मे सारा कैश है और अचानक कर्ण फोडू संगीत बंद हो जाए.तो भई .कोसना क्यो. यह विस्फोट्क ध्वनि वाला नही कर्ण प्रिय संगीत ही है. है ना.इसका भरपूर आनन्द ले. ..
कल नेट पर कुछ सर्च करते करते नजर पडी एक विचार पर "ब्लड डोनर से पहले ब्लड ओनर बने". बहुत सही बात लिखी हुई थी. सच, आजकल हम सही पौष्टिक संतुलित खाने को तो भूल ही गए है. महिलाए तो यहाँ भी आगे है मैने अक्सर रक्तदान शिविरो मे देखा है कि महिलाए रक्तदान के लिए आती तो बहुत चाव से है पर होमोग्लोबिन ही बहुत कम होता है और आज कल की लडकियाँ भी इतनी दुबली पतली ज़ीरो फिगर मे विश्वास रखती है कि इन्हे देख कर लगता है कि अभी गिरेगी.शरीर स्वस्थ बनाने के लिए अटरम पटरम फास्ट फूड प्रेम छोड कर सही भोजन पर ध्यान देना सुखद भविष्य के लिए बहुत जरुरी है.
खूबसूरत फूलो की बहार आई हुई है राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन मे. धरती पर जन्नत का छोटा-सा नजारा है यह। एक बार घूम लेंगे तो ऐसा लगेगा कि मानो मन ही बाग बाग हो गया बसंती कैलंडुला के साथ साथ 125 किस्म के गुलाब, ट्यूलिप और लिली भी आपका मन मोह लेंगे।

सुनो सुनो सुनो ... आ गया है मौसम टेंशन लेने का. असल मे यह मौसम होता है परीक्षा देने का और इस मौसम मे ना सिर्फ बच्चे बल्कि उनके मम्मी पापा भी उसके शिकार बनते है. घर का एक दम तनाव पूर्ण माहौल होता है.टीवी बंद और् केबल कनेक्शन कट्वा दिया जाता है. बच्चो को इंटर नेट करने और अपने दोस्तो से बात करने मे मनाही हो जाती है वही माता पिता भी यही कामना करते है कि उनका कोई दोस्त ना आए. बात करना हसँना बोलना लडाई करना बर्तनो की खट पट सब पर कंट्रोल कर दिया जाता है.क्या आपने टेंशन ली.अगर नही ली तो आज से ही ले. अरे भई बच्चो के भविष्य का सवाल है .

No comments:

Post a Comment