Tuesday, November 20, 2012

खोल दे पंख मेरे , अभी और उड़ान बाकी है जमीं नहीं मंजिल मेरी, अभी पूरा आसमान बाकी है लहरों की ख़ामोशी को सागर की बेबसी मत समझ जितनी गहराई अन्दर है, बाहर उतना तूफान बाकी है

No comments:

Post a Comment