Tuesday, August 9, 2011

बेशक नेट के माध्यम से हमे अपने विचार सांझा करने की स्वंतंत्रता है पर इसका दुरुपयोग भी नही होना चाहिए.अक्सर अपनी बात रखने के चक्कर मे कई बार हम कुछ ज्यादा ही लिख जाते हैं जोकि सही नही है.जहां सोच समझ कर बोलना जरुरी होता है वही लिखी हुई बात भी हमारे दिल पर गहरा असर कर जाती है.इसलिए किसी की भावनाओ को आहत करके .....

अगर आपको किसी को कुछ देने की इच्छा हो तो उसे आत्मविश्वास जगाने वाला प्रोत्साहन सर्वोतम उपहार के रुप मे दो.... अच्छा लगेगा !
वैसे एक बात अक्सर महसूस की जाती है कि ईमानदार आदमी मे गुस्सा बहुत होता है. शायद वो अपने काम के प्रति बहुत गम्भीर होता है और जब दूसरा उतनी गम्भीरता नही दिखाता तो गुस्सा आना स्वाभाविक होता है .... है ना ...

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