एक सोच: अगर रास्ता खुबसूरत है, तो पता कीजिये किस मंजिल तक जाता है, लेकिन अगर मंजिल खुबसूरत है, तो रास्ते की परवाह मत कीजिये चलते रहिये,
इसमे कोई शक नही कि आजकल रिएलिटी शो बहुत लुभा रहे है बच्चे या बडे अपना टेलेंट दिखा रहे है पर दुख इस बात का है कि कई बार सीट पर न्याय करने वाले जज थोडे से रुखे हो जाते है.जिस प्रतिभागी ने अपना टेलेंट दिखाना है वो उनकी बाते सुन कर पहले ही निरुत्साहित हो जाता है.जज बनना आसान काम नही है हम सब जानते है पर किसी को भी कभी कम नही आकनां चाहिए. है ना ..
ये भी अच्छा आईडिया है.आप मेरी बात से सहमत होग़े कि हमे जिस काम से रोका जाता है या मना किया जाता है वही करने का मन करता है.अब फिल्म देल्ही बैली की ही बात करें तो आमिर खान साहब ने पहले से ही पब्लिस्टि करनी शुरु कर दी थी कि भई, बच्चे या जो अपशब्द या दो अर्थ के संवाद सुनना ना पसंद करते हो वो प्लीज इसे ना देखे. नतीजा यही निकला कि आज इसे सब देखना चाह रहे. What an idea SIR JI ....
No comments:
Post a Comment