Monday, November 22, 2010


जाडो की नरम धूप और आंगन मे बैठ कर धनिया, मैथी साफ करती महिलाए घंटो इधर उधर की बाते और चुगलियाँ करने आनंद उठाती हैं.वही आदमी भी द्फ्तर से चाय पीने के बहाने धूप मे खडे होकर दोस्तो से बतियाने मे भी कोई कसर नही छोडते.चलो सर्दी के बहाने सोशल नेट्वर्क तो बढा.
क्या. आज तो सनडे है और सनडे को दाँत किसलिए ब्रुश करने.जी क्या.नहाना, अजी मतलब ही नही इतनी सर्दी मे.फिर टोक दिया कि हम सज सवँर के कहाँ जा रहे है. कमाल है शादियो का मौसम है.हेयर जैल,चेहरे पर क्रीम,परफ्यूम लगाना तो जरुरी है ही वरना लोग क्या कहेगें.

यादें भी बहुत अजीब होती हैं जिन पलो मे हम रोए थे उन्हे याद करके हँसी आती है और जिन पलो मे हम हँसे थे... उन्हे याद करके रोना आता है ...

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