Wednesday, December 8, 2010

कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ या दिल का सारा प्यार लिखूँ कुछ दूर हमारे साथ चलो हम दिल की कहानी केह देंगे, समझे ना जिसे तुम आँखों से वो बात ज़ुबानी केह देंगे, फूलों ...की तरह जब होंठों पर इक शोक तबस्सु बिखरेगा, धीरे से तुम्हारे कानों में इक बात पुरानी केह देंगे, इज़हार-ए-वफ़ा तुम क्या समझो इक़रार-ए-वफ़ा तुम क्या जानो, हम ज़िकर करेंगे गैरों का और अपनी कहानी केह देंगे, मौसम तौ बड़ा ही ज़ालिम है तूफ़ान उठाता रेहता है कुछ लोग मगर इस हलचल को बड़ेमस्त जवानी केह देंगे, समझे ना जिसे तुम आँखों से वो बात ज़ुबानी केह देंगे,

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